Monday, February 8, 2016

Nida Fazli Shayari, Ghazals, Poem by निदा फाजली in Hindi & English



वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की
 वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की
जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है
सुना है
वो किसी लड़के से प्यार करती है
बहार हो के, तलाश-ए-बहार करती है
न कोई मेल न कोई लगाव है लेकिन न जाने क्यूँ
बस उसी वक़्त जब वो आती है
कुछ इंतिज़ार की आदत सी हो गई है
मुझे
एक अजनबी की ज़रूरत हो गई है मुझे
मेरे बरांडे के आगे यह फूस का छप्पर
गली के मोड पे खडा हुआ सा
एक पत्थर
वो एक झुकती हुई बदनुमा सी नीम की शाख
और उस पे जंगली कबूतर के घोंसले का निशाँ
यह सारी चीजें कि जैसे मुझी में शामिल हैं
मेरे दुखों में मेरी हर खुशी में शामिल हैं
मैं चाहता हूँ कि वो भी यूं ही गुज़रती रहे
अदा-ओ-नाज़ से लड़के को प्यार करती रहे
2.
 होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है 
होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िन्दगी क्या चीज़ है

उन से नज़रें क्या मिली रोशन फिजाएँ हो गईं
आज जाना प्यार की जादूगरी क्या चीज़ है

ख़ुलती ज़ुल्फ़ों ने सिखाई मौसमों को शायरी
झुकती आँखों ने बताया मयकशी क्या चीज़ है

हम लबों से कह न पाये उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं ये ख़ामोशी क्या चीज़ है 

3.
हुआ सवेरा
  हुआ सवेरा
ज़मीन पर फिर अदब
से आकाश
अपने सर को झुका रहा है
कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं
नदी में स्नान करने सूरज
सुनारी मलमल की
पगड़ी बाँधे
सड़क किनारे
खड़ा हुआ मुस्कुरा रहा है
कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं
हवाएँ सर-सब्ज़ डालियों में
दुआओं के गीत गा रही हैं
महकते फूलों की लोरियाँ
सोते रास्तों को जगा रही
घनेरा पीपल,
गली के कोने से हाथ अपने
हिला रहा है
कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं
फ़रिश्ते निकले रोशनी के
हर एक रस्ता चमक रहा है
ये वक़्त वो है
ज़मीं का हर ज़र्रा
माँ के दिल सा धड़क रहा है
पुरानी इक छत पे वक़्त बैठा
कबूतरों को उड़ा रहा है
कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं
बच्चे स्कूल जा रहे हैं

4.
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
  हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा

किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से
हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा

एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा

मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा

आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा 

5.
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाये तो मिट्टी है खो जाये तो सोना है

अच्छा-सा कोई मौसम तन्हा-सा कोई आलम
हर वक़्त का रोना तो बेकार का रोना है

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है

ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है

ये वक्त जो तेरा है, ये वक्त जो मेरा
हर गाम पर पहरा है, फिर भी इसे खोना है

आवारा मिज़ाजी ने फैला दिया आंगन को
आकाश की चादर है धरती का बिछौना है  

6.
 दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती 
दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बङी दौलत नहीं मिलती

कुछ लोग यूँही शहर में हमसे भी ख़फा हैं
हर एक से अपनी भी तबीयत नहीं मिलती

देखा था जिसे मैंने कोई और था शायद
वो कौन है जिससे तेरी सूरत नहीं मिलती

हंसते हुए चेहरों से है बाज़ार कीज़ीनत
रोने को यहाँ वैसे भी फुरसत नहीं मिलती

7.
 कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी 
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी
चैन से जीने की सूरत ना हुई
जिसको चाहा उसे अपना ना सके
जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई

जिससे जब तक मिले दिल ही से मिले
दिल जो बदला तो फसाना बदला
ऱसम-ए-दुनिया की निभाने के लिए
हमसे रिश्तों की तिज़ारत ना हुई

दूर से था वो कई चेहरों में
पास से कोई भी वैसा ना लगा
बेवफ़ाई भी उसी का था चलन
फिर किसीसे ही श़िकायत ना हुई

व़क्त रूठा रहा बच्चे की तरह
राह में कोई खिलौना ना मिला
दोस्ती भी तो निभाई ना गई
दुश्मनी में भी अदावत ना हुई

8.
सब की पूजा एक सी अलग अलग हर रीत
सब की पूजा एक सी अलग अलग हर रीत
मस्जिद जाये मौलवी कोयल गाये गीत

पूजा घर में मूर्ती मीरा के संग श्याम
जितनी जिसकी चाकरी उतने उसके दाम

सीता रावण राम का करें विभाजन लोग
एक ही तन में देखिये तीनों का संजोग

मिट्टी से माटी मिले खो के सभी निशां
किस में कितना कौन है कैसे हो पहचान  

9.
 कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता 
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता

बुझा सका ह भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता

तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो
जहाँ उमीद हो सकी वहाँ नहीं मिलता

कहाँ चिराग़ जलायें कहाँ गुलाब रखें
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता

ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं
ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलता

चिराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है
खुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता

---------
आहिस्ता-आहिस्ता फिल्म में जो ग़ज़ल शामिल की गयी है ये वो है. 
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता

जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबा नहीं मिलता

बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिस में धुआँ नहीं मिलता

तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता

Nida Fazli Shayari
1.
 Gham Sota Nahin 
Jo Mila Khud Ko Dhundhta Hi Mila
Har Jagah Koi Dusra Hi Mila

Gham Nahi Sota Aadmi Ki Tarah
Neend Mein Bhi Ye Jaagta Hi Mila

Khud Se Hi Mil Ke Laut Aaye Hum
Humko Har Taraf Aaina Mila

Har Thkaan Ka Fareb Hai Manzil
Chalne Walon Ko Rasta Hi Mila

2.
 Jab Se Mili Hai Zindagi
Pehle Bhi Jeete The Magar Jab Se Mili Hai Zindagi
Sidhi Nahi Hai Door Tak Uljhi Hai Zindagi

Ik Aankh Se Roti Hai Ye, Ik Aankh Se Hansti Hai Ye
Jaisi Dikhai De Jise Uski Vahi Hai Zindagi

Jo Paye Voh Khoye Use, Jo Khoye Voh Roye Use
Yoon To Sabhi Ke Paas Hai Kiski Hui Hai Zindagi

Har Raasta Anjaan Sa Har Falsafa Nadan Sa
Sadiyon Purani Hai Magar Har Din Nayi Hai Zindagi

Achi Bhali Thi Door Se, Jab Paas Aayi Kho Gayi
Jisme Na Aaye Kuch Nazar Voh Roshni Hai Zindagi

Mitti Hawa Lekar Udi Ghoomi Firi Vaapas Mudi
Kabron Pe Shilalekho Ki Tarah Likhi Hui Hai Zindagi

3.
Shahar Mein Tanha
Voh Bhi Meri Tarah Hi Shaher Mein Tanha Hoga
Roshni Khatam Na Kar Aage Andhera Hoga

Pyaas Jis Nehr Se Takrayi Vo Banjar Nikli
Jisko Piche Kahi Chor Aaye Vo Dariya Hoga

Ek Mehfil Mein Kayi Mehfilein Hoti Hain Shareek
Jisko Bhi Pass Se Dekhoge Akela Hoga

Mere Baare Mein Koi Raay To Hogi Uski
Usne Mujhko Bhi Kabhi Tor Ke Dekha Hoga 

4.
 Har Dastak Usaki Dastak
Darwaje Per Har Dastak Ka Jana Pehchana Chehra Hai
Roz Badlati Hain Taarikhen Waqat Magar Yun Hi Thehra Hai

Har Dastak Hai ‘Uski’ Dastak
Dil Yun Hi Dhoka Khata Hai
Jab Bhi Darwaja Khulta Hai Koi Aur Nazar Aata Hai

5.
 Jab Tanhayian Bolti Hai
Deewar-O-Dar Se Utar Kar Perchaiyan Bolti Hain
Koi Nahi Bolta Jab Tanhaiyan Bolti Hain

Perdesh Ke Raaston Mein Rookte Kahan Hain Musafir
Har Ped Kehta Hai Kissa Khamoshiyan Bolti Hain

Ek Bar To Zindagi Mein Milti Hai Sabko Haqumat
Kuch Din To Har Aaine Mein Sehzadiyan Bolti Hain

Sun’ne Ki Mohlat Mile To Aawaz Hai Pathron Mein
Ujadi Hui Bastiyon Mein Aabadiyan Bolti Hain

6.
 Jise Nigah Mili Usko Intezar Mila
Koi Pukar Raha Tha Khuli Fazaon Se
Jise Nigah Mili Usko Intezar Mila

Vo Koi Raah Ka Pathar Ho Ya Hanseen Manzar
Jahan Se Raasta Thehra Vahin Mazaar Mila

Har Ek Saans Na Jaane Thi Justjoo Kiski
Har Ek Ghar Musafir Ko Beghar Mila

Ye Shehar Hai Ki Numaish Lagi Hui Hai Koi
Jo Aadami Bhi Mila Banke Ishtihar Mila

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